
दक्षिण-पूर्व एशिया में एक बार फिर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद ने गंभीर रूप ले लिया था, लेकिन हालिया घटनाओं में संघर्ष के बजाय बातचीत की ओर बढ़ने की पहल हुई है। यह संभव हो पाया USA President डोनाल्ड ट्रम्प की सक्रिय मध्यस्थता से, जिन्होंने दोनों देशों के नेताओं से बात कर युद्धविराम का आग्रह किया।
🔥 कैसे भड़का विवाद?
गुरुवार को एक बारूदी सुरंग विस्फोट में पाँच थाई सैनिक घायल हो गए, जिससे सीमा पर तनाव अचानक बढ़ गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमले का आरोप लगाते हुए सैन्य कार्रवाइयाँ तेज़ कर दीं। अब तक इस संघर्ष में 34 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1,68,000 से ज़्यादा लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं।
📞 ट्रम्प की अपील और कूटनीति
ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट किया कि यदि दोनों देशों ने शत्रुता बंद नहीं की, तो अमेरिका उनके साथ व्यापारिक संबंधों में कटौती करेगा। इसके बाद दोनों देशों ने बातचीत के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की।
ट्रम्प ने यह भी कहा कि उन्होंने कंबोडियाई प्रधानमंत्री और थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से बात की है और दोनों ने तत्काल युद्धविराम की इच्छा जताई है।
🤝 कंबोडिया और थाईलैंड की प्रतिक्रिया
कंबोडिया ने बयान जारी कर कहा कि वह बिना किसी शर्त के युद्धविराम के लिए तैयार है और उसने अपने उप विदेश मंत्री को इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी दी है।
वहीं, थाईलैंड ने “सतर्क समर्थन” जताते हुए कहा कि वह भी शांति चाहता है, लेकिन इस प्रक्रिया में कंबोडिया की ईमानदारी ज़रूरी होगी। थाई प्रधानमंत्री ने त्वरित द्विपक्षीय वार्ता की अपील की है।
⚔️ जमीनी हालात और जारी लड़ाई
भले ही वार्ता की सहमति दी गई है, लेकिन सीमा पर गोलाबारी और तनाव अभी भी जारी है। थाई सेना ने दावा किया कि कंबोडिया ने नागरिक क्षेत्रों और ता मुएन थॉम मंदिर को निशाना बनाकर रॉकेट दागे, जिसका जवाब थाई सेना ने लंबी दूरी की तोपों से दिया।
कंबोडियाई पक्ष ने भी आरोप लगाया कि थाई सेना ने उनकी ज़मीन पर हमला कर संघर्ष को और बढ़ाया।
🚨 मानवीय संकट
- थाईलैंड ने 20 लोगों की मृत्यु की पुष्टि की है, जबकि कंबोडिया ने 13 मौतों की जानकारी दी है।
- थाईलैंड में 1.31 लाख से अधिक लोग और कंबोडिया के तीन प्रांतों से 37,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।
- सीमावर्ती गाँव खाली हो गए हैं, स्कूल और अस्पताल बंद पड़े हैं।
👨👩👧👦 आम नागरिकों की आवाज़
पिचायुत सुरसित, जो थाईलैंड में एसी तकनीशियन हैं, को अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता ने नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
बुआली चंदुआंग, एक स्थानीय विक्रेता, जो अपने परिवार और पालतू जानवरों के साथ आश्रय गृह में रह रही हैं, बस यही चाहती हैं कि “ईश्वर दोनों पक्षों को शांति की राह दिखाए।”
🌐 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
- संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन को हस्तक्षेप करने और वार्ता कराने की अपील की है।
- मानवाधिकार संगठनों ने दोनों पक्षों से युद्धबंदी और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
📝 निष्कर्ष
जहाँ एक ओर बारूद की गूंज अब भी शांत नहीं हुई है, वहीं डोनाल्ड ट्रम्प के हस्तक्षेप से कूटनीतिक दरवाज़े खुलते दिख रहे हैं। अब यह देखना बाकी है कि दोनों देशों के नेता वास्तविक और स्थायी समाधान की दिशा में कितनी ईमानदारी से आगे बढ़ते हैं।