फेडरल रिज़र्व की मरम्मत पर ट्रंप और चेयरमैन के बीच तीखी बहस, टीवी पर हुआ आमना-सामना

वॉशिंगटन, 25 जुलाई 2025 — अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेडरल रिज़र्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के बीच उस समय अप्रत्याशित टकराव देखने को मिला जब दोनों एक साथ फेड मुख्यालय के निर्माणाधीन परिसर का निरीक्षण कर रहे थे। यह मुठभेड़ लाइव कैमरों के सामने हुई, और देशभर में चर्चा का विषय बन गई।

दो दशकों में पहली बार किसी मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति ने फेडरल रिज़र्व के कार्यालय का दौरा किया है। दौरे के दौरान दोनों ही नेता सुरक्षा हेलमेट पहने हुए थे और निर्माणाधीन इमारत का मुआयना कर रहे थे। इससे पहले मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि प्रशासन इस मरम्मत कार्य पर करीबी नज़र रखे हुए है

निरीक्षण के दौरान ट्रंप ने कहा, “मरम्मत पर करीब 3.1 अरब डॉलर खर्च किए जा रहे हैं।” इस पर पॉवेल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, “मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। फेड की ओर से ऐसा कोई आँकड़ा सामने नहीं आया है।”

दरअसल, फेड की ओर से बार-बार यह स्पष्ट किया गया है कि संपूर्ण मरम्मत पर 2.5 अरब डॉलर का बजट निर्धारित है। इस बात पर जब विवाद बढ़ा, तो राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कोट की जेब से एक दस्तावेज़ निकाला और पॉवेल को दिखाया। कुछ क्षण देखने के बाद पॉवेल ने कागज़ वापस करते हुए कहा कि “आप इसमें एक तीसरी इमारत को जोड़ रहे हैं।”

ट्रंप ने कहा, “यह एक नई इमारत बनाई जा रही है,” जिस पर पॉवेल ने जवाब दिया, “यह इमारत पाँच साल पहले बन चुकी है। यह नई नहीं है।”

दौरे के अंत में राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मरम्मत का काम अभी काफी पीछे है। यह काम शुरू ही न होता तो बेहतर रहता, लेकिन अब जब हो ही गया है, तो इसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए। इससे भी जरूरी है कि ब्याज दरों में कटौती की जाए।”

ट्रंप पहले भी कई बार फेड अध्यक्ष पर दरों में कटौती को लेकर देर करने का आरोप लगाते रहे हैं। वे उन्हें सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया पर “जिद्दी खच्चर”, “ट्रंप विरोधी”, और “मूर्ख व्यक्ति” जैसे शब्दों से संबोधित कर चुके हैं। कई बार उन्होंने पॉवेल को हटाने की बात भी कही है।

हालाँकि पॉवेल ने अब तक सोशल मीडिया पर ट्रंप के तीखे बयानों का जवाब देने से परहेज़ किया है। उनका कहना है कि फेड मौद्रिक नीतियों में बदलाव से पहले महंगाई पर टैरिफ के प्रभाव का आकलन कर रहा है और जल्दबाज़ी नहीं करेगा।

यह पूरा घटनाक्रम केवल आर्थिक नीति का मामला नहीं रहा — यह सत्ता और संस्थानों के बीच के टकराव को भी दर्शाता है, जो आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना रखता है।

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